“उजड़ी दुनिया, बीते लम्हों की यादें: एक परिंदे की कहानी”

उजड़ी हुई दुनिया को तू आबाद न कर, बीते हुए लम्हों को तू याद न कर !
एक कैद परिंदे ने कहा हमसे, में भूल चुका हु उड़ना मुझे आजाद न कर…..!!

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