“ग़म-ए-हिज्र का इलाज: मोहब्बत की आग़ोश में खोया दिल”

वो भला कैसे बताए कि ग़म-ए-हिज्र है क्या!
जिस को आग़ोश-ए-मोहब्बत कभी हासिल न हुआ!!

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