“जीते जी खो दिया”

तुम जो खेल खेल रहे हो यह खेल हमने भी खेला है…!

तुम जिस को सुकून नाम दे रहे हो वो सुकून हमने भी लिया है..!!

सुकून भरे इस इश्क के मैदान में हम ही न ठहरे…!

तुम ठहर जाओगे ये तुमने कैसे ठान लिया…!!

अनपढ़ जाहिल गवार के छोड़ दिया उसने….!

किताबे बेच कर कंगन खरीदे थे जिसके लिए..!!!

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