“तन्हा सफ़र: रिश्तों की तक़दीरों का खुदा”

तन्हा सफ़र ही सही है, इस भीड़ से..!! हर रिश्ता थोड़ी देर में, बदल जाता है..!!

यूं तो शोर बहुत है, अपनेपन का, वक्त के आगे हर नक़ाब उतर जाता है.

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