कैसे गुजरती है मेरी हर एक शाम,
तुम्हारे बगैर अगर तुम देख लेते तो,
कभी तन्हा न छोड़ते मुझे !
❣️🥀💯
एक बार कहा होता हम
किसी और के भी है,
खुदा कसम हम तेरे साए से भी दूर रहते ।
😔💔🥀
काश तू समझ सकती मोहब्बत के
उसूलों को किसी की साँसों में
समाकर उसे तन्हा नहीं करते !
😔💔🥀
कर दिया आजाद उनको ।
जो हमारे दिल में रहकर ।
दूसरों के ख्वाब देखते थे।
😔💔🥀
छिपाकर दर्द अपना रोज मौत के
करीब हो रहा हूं तेरे लौट आने के
इंतजार में आज भी रो रहा है !!
😔💔🥀
वादों से बंधी जंजीर थी जो तोड़ दी मैंने,
अब से जल्दी सोया करेंगे,
मोहब्बत छोड़ दी मैंने।
😔💔🥀
पता है मुझे तुम किसी और की नसीब हो !
पर इस पागल दिल को कौन बताए,
जो सिर्फ तुम्हारा ही इंतजार करता है !!!
😔💔🥀
साथ होकर भी साथ ना रहना
बात ना करना इश्क में
इससे बड़ी सजा और क्या होगी..!!
😔💔🥀
आज कुछ अजनबी सा अपना वजूद साथ हैं
सब मगर दिल क्यों अकेला लगता है,
सा लगता है !
😔💔🥀
हर तन्हा रात में एक नाम याद आता है,
कभी सुबह कभी शाम याद आता है,
जब सोचते हैं कर लें दोबारा मोहब्बत,
फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद
आता है।
😔💔🥀
आज उसने एक और दर्द दिया
तो हमें याद आया।
हां हमने भी तो दुआओं में उसके सारे दर्द मांगे थे।
😔💔🥀
टूट कर मत चाहना किसी को,
दोस्तों जान जान कहने वाले अक्सर
बेजान कर देते हैं।
😔💔🥀
“मंज़िल पास है, इसलिए अकेला हूँ। अगर दूर जाना होता, तो किसी को आवाज़ लगा लिया होता।”
“अकेला रहना एक नशा है, सब के बस की बात नहीं है।”
“जो अकेले रहना सीख जाते है, उन्हें फिर किसी और की जरुरत नहीं पड़ती।”
“या तो तेरे साथ नहीं तो अकेले ही हम ठीक है।”
“बारिश की हर एक बूंद को पता है कि अकेलापन क्या होता है।”
“मैं अपने आप के बिना बड़ा अकेला हो जाता हूँ।”
“वो अकेले नहीं होते, वो जो अपने आप में ही मुकम्मल है।”
“कुछ तो हमारी भी ज़िंदगी की कहानी सुन लो, मैं अकेला हूँ इसकी वजह तुम हो।”
“वो मुझ से दूर हो के मुझे कमज़ोर नहीं, बल्कि और मजबूत किया है।”
“ज़िंदगी दर्द उसी को देती है, जिसको ख़ुशी दे सके।”
“मैं उसी महफ़िल का समा जिसे हर सुबह बुझा दिया करता है।”
“बेबस हूँ, मजबूर हूँ। इसीलिए अपने आप के साथ महफूज़ हूँ।”
“पहले वक्त बदला, फिर लोग बदले, फिर हम भी बदले।”
“अकेला हूँ इसलिए मंज़िल की और चल रहा हूँ।”
“ख्वाहिशों की पोटली सिर लिए चल रहा हूँ, मैं अकेला ही अपनी मंज़िल की और चल रहा हूँ।”