गिले भी हैं तुझसे,
शिकायतें भी हजार हैं…
फिर भी जाने क्यों,
मुझे तुझसे ही प्यार है.!!
मेरे लफ्ज़ फ़ीके पड़ गए तेरी अदा के सामने,
मैं तुझे ख़ुदा कह गया अपने ख़ुदा के सामने।
मैंने जान बचा के रखी है अपनी जान के लिए,
इतना प्यार कैसे हो गया एक अनजान से हमें मालूम ही नही।
मैं ख्वाहिश बन जाऊं और तू रूह की तलब,
बस यूं ही जी लेंगे दोनो मोहब्बत बनकर।
मुझे ना सताओ इतना की मैं रूठ जाऊं तुमसे,
मुझे अच्छा नही लगता अपनी सांसों से जुदा होना।।