मैं लफ़्ज़ों से कैसे बताऊँ कि कितनी खास हो तुम,
जुदा होकर भी खत्म नहीं होगा वो अहसास हो तुम,
मेरी हैसियत होती तो तुम्हारी क़िस्मत सवाँर देता,
एक दिल था जो तुम्हें दे दिया,
हज़ारों भी होते तो तुम पर वार देता।
तुम्हारा चेहरा कितना सुहाना लगता है,
तुम्हारे सामने चाँद भी पुराना लगता है,
न जाने कैसे मिल गयी तुम मुझे,
वरना तुम्हारे जैसे को पाने में तो ज़माना लगता है।
कैसे बताऊँ मैं तुम्हे,
आँखों में तुम, यादों में तुम,
नींदों में तुम, ख्वाबों में तुम,
तुम हो मेरी हर बात,
तुम हो मेरे दिन रात, तुम सुबह में,
तुम शाम में, तुम सोंच में, तुम काम में,
मेरे लिए पाना भी तुम,
मेरे लिए खोना भी तुम, मेरे लिए हँसना भी तुम,
मेरे लिए रोना भी तुम, और जागना सोना भी तुम,
जाऊँ कहीं देखूँ कहीं, तुम हो वहाँ,
तुम हो वहीं, कैसे बताऊँ मैं तुम्हें,
तुम बिन तो मैं कुछ भी नहीं।
हम तो फ़ना हो गए उनकी आँखे देखकर ग़ालिब,
ना जाने वो आइना कैसे देखते होंगे।
तुम नाराज़ नाराज़ से लगते हो कोई तरकीब बताओ मनाने की,
हम ज़िन्दगी अमानत रख देंगे तुम क़ीमत बताओ मुस्कुराने की।
तुझे पलकों पर बिठाने को जी चाहता है,
तेरी बाँहों में लिपट जाने को जी चाहता है,
ख़ूबसूरती की इन्हेता है तू,
तुझे ज़िन्दगी में बसाने को जी चाहता है।
कभी लफ्ज़ भूल जाऊँ कभी बात भूल जाऊँ,
तुझे इस क़दर चाहूँ कि अपनी ज़ात भूल जाऊँ,
उठकर कभी जो तेरे पास से चल दूँ,
जाते हुए खुद को तेरे पास भूल जाऊँ,
कैसे कहूँ तुझसे के कितनी मोहब्बत है तुझ से,
अगर कहने पे तुम को आऊँ तो अल्फ़ाज़ भूल जाऊँ।
तुम याद नहीं करते और हम भुला नहीं सकते,
तुम हँसा नहीं सकते और हम रुला नहीं सकते,
इतनी खूबसूरत मोहब्बत है हमारी,
कि तुम जान नहीं सकते और हम बता नहीं सकते।
आप ही के बिना हूँ क्यों बेचैन,
आप ही क्यों मेरी ज़रूरत हैं,
वहम इतना हसीं नहीं होता,
वाकई आप खूबसूरत हैं।