“दास्तान-ए-इश्क़: फ़क़ीर से बादशाह तक”

कहीं फ़क़ीर कहीं बादशाह रहा हूँ मैं
की इससे पहले भी पागल बना रहा हूँ मैं

कहीं तू बाद में मुझसे गिला न करने लगे
मैं बेवफ़ा हूँ सो पहले बता रहा हूँ मैं

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